Shantakaram bhujag shayanam padmanabham suresham
vishwadharam gagansadrisham meghavarnam shubhangam
Laxmikantam kamalnayanam yogibhirdhyangamyam
vande vishnu bhava bhayaharam sarvalokaika natham
शान्ताकारम भुजग शयनं पद्मनाभं सुरेशं |
विश्वधारम गगान्सद्रिषम मेघवर्णं शुभान्गम ||
लाक्स्मिकानतम कमल नयनं योगिभिर्ध्यांगाम्यम |
वन्दे विष्णु भव भयहरं सर्वलोकैक नाथं ||
Jai Laxmi ramana jai jai shree laxmi ramna
Satyanarayana swami jan patak harna
Ratna jadit singhasan adbhut chhabi raje
Narad karat niranjan ghanta dhwani baje
Prakat bhaye kali karan dwij ko daras diyo
Budho brahmin bankar kanchan mahal kiyo
Durbal bheel karal jinpar kirpa kari
Chandrachood ek raja tinki vipati hari
Bhaav bhakti ke karan chhin chhin roop dharyo
Shraddha dharan kinhi tinke kaaj saryo
Gwal baal sang raja ban mein bhakti kari
Man vanchhit phal dinha deendayal Hari
Chadhat prasad savayo kadli phal mewa
Dhoop deep tulsi se raji satdeva
Shree satyanarayana ji ki aarti jo koi nar gaave
Kahat Shivanand swami manvanchhit phal paave
Jai Laxmi Ramna in Hindi - Lyrics
जय लक्ष्मी रमना जय जय श्री लक्ष्मी रमना
सत्यानारयाना स्वामी जन पटक हरना
रत्ना जडित सिंघासन अद्भुत छबि राजे
नारद करत निरंजन घंटा ध्वनि बाजे
प्रकट भये कलि कारन द्विज को दरस दियो
बुधो ब्रह्मिन बनकर कंचन महल कियो
दुर्बल भील कराल जिनपर किरपा करी
चंद्रचूड एक राजा तिनकी विपति हरी
भाव भक्ति के कारन छिन छिन रूप धरयो
श्रद्धा धारण किन्ही तिनके काज सरयो
ग्वाल बाल संग राजा बन में भक्ति करी
मन वांछित फल दीन्हा दीनदयाल हरी
चढात प्रसाद सवायो कदली फल मेवा
धुप दीप तुलसी से राजी सतदेवा
श्री सत्यानारयाना जी की आरती जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे
सत्यानारयाना स्वामी जन पटक हरना
रत्ना जडित सिंघासन अद्भुत छबि राजे
नारद करत निरंजन घंटा ध्वनि बाजे
प्रकट भये कलि कारन द्विज को दरस दियो
बुधो ब्रह्मिन बनकर कंचन महल कियो
दुर्बल भील कराल जिनपर किरपा करी
चंद्रचूड एक राजा तिनकी विपति हरी
भाव भक्ति के कारन छिन छिन रूप धरयो
श्रद्धा धारण किन्ही तिनके काज सरयो
ग्वाल बाल संग राजा बन में भक्ति करी
मन वांछित फल दीन्हा दीनदयाल हरी
चढात प्रसाद सवायो कदली फल मेवा
धुप दीप तुलसी से राजी सतदेवा
श्री सत्यानारयाना जी की आरती जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे
0 comments:
Post a Comment